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Wednesday, July 10, 2024

वो मैच जब लोगों ने मैदान पर चमत्कार होते देखा, 327 रन बना कर भी Ireland से जीत नहीं पाई England

ये बिल्कुल भी गलत नहीं कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है. क्रिकेट में अगर आप किसी बात को लेकर श्योर हो रहे हैं तो इसके दो ही मतलब हो सकते हैं, या तो आप किसी देश के कट्टर समर्थक हैं या फिर आप जिदी हैं क्योंकि यहां खेल पलटने में घड़ी भर का भी समय नहीं लगता. उक्त कहावत को सही साबित करने के लिए हमारे पास अनगिनत उदाहरण हैं, उन्हीं में से एक उदाहरण है 2011 विश्वकप के दौरान खेला गया वो मैच जब एक कमजोर मानी जाने वाली टीम ने करोड़ों लोगों के पूर्वानुमान को गलत साबित कर दिया था.   

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2011 ODI Cricket World Cup ENG vs IRE

2 मार्च 2011 को एकदिवसीय विश्व कप (2011 ODI Cricket World Cup) के ग्रुप बी के मुकाबले में इंग्लैंड और आयरलैंड आमने सामने थे. कुछ मुट्ठी भर लोग ही होंगे जिन्होंने उस दिन किसी बड़े उलट-फेर का अनुमान लगाया होगा, अन्य सभी के लिए ये इंग्लैंड की एक तरफा जीत थी. आज आयरलैंड की टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान है लेकिन उस समय तक ये टीम बहुत से क्रिकेट प्रेमियों के लिए अनजान थी.  

इंग्लैंड ने की जबरदस्त शुरुआत 

ये बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम था. इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. पारी की शुरुआत करते हुए स्ट्रॉस ने केविन पीटरसन के साथ मिलकर अपनी टीम को तेज शुरुआत दी. 14वें ओवर में स्पिनर जॉर्ज डॉकरेल की फिरकी में स्ट्रॉस को क्लीन बोल्ड करने से पहले दोनों ने 91 रन की शुरुआती साझेदारी पूरी कर ली थी.

17वें ओवर में पीटरसन भी 59 रन बनाकर आउट हो गए. ये ​​आयरलैंड के लिए वापसी का मौका बन सकता था लेकिन तभी इयान बेल और जोनाथन ट्रॉट ने इंग्लिश टीम को संभाला. बल्लेबाजों ने अपना अर्धशतक पूरा करते हुए तीसरे विकेट के लिए 157 रन की साझेदारी की. जिसके बाद दोनों बल्लेबाजों को जॉन मूनी ने वापस पवेलियन भेज दिया. बेल ने कैच आउट होने से पहले 81 रन बनाए थे. ट्रॉट को 92 के स्कोर पर नर्वस 90 के दशक में मूनी ने क्लीन बोल्ड कर दिया. इसके बाद इंग्लैंड की पारी 327 रनों के साथ समाप्त हुई.

आयरलैंड के लिए असंभव दिख रहा था लक्ष्य

 

भले ही चिन्नास्वामी की विकेट अभी भी बल्लेबाजी के लिए अच्छी लग रही थी लेकिन 300 से अधिक स्कोर का दबाव किसी भी टीम के आत्मविश्वास को खत्म करने के लिए पर्याप्त था. दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी और विश्लेषक जैसा सोचे बैठे थे वही हुआ, पारी की पहली ही गेंद पर कप्तान विलियम पोर्टरफील्ड अपना विकेट गंवा बैठे. आयरलैंड के लिए हालात और मुश्किल हो गए. भले ही बाद के बल्लेबाजों को अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन वे लंबी पारी खेलने में नाकाम रहे. हालात ये थे कि 25वें ओवर में 111 के स्कोर पर आयरलैंड की आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी.

तभी हुआ चमत्कार 

2011 World Cup Match ireland stun england in high scoring Match
ESPNs

लेकिन अभी चमत्कार होना बाकी था, और ये हुआ केविन ओ’ब्रायन के आने के बाद. केविन ओ’ब्रायन और एलेक्स क्यूसैक ने इस असंभव से दिखने वाले रन चेज़ की कमान संभाली. उन्होंने साझेदारी बनाकर न केवल विकेटों का गिरना रोका बल्कि रनों की गति को भी तेजी दी. 42वें ओवर में 47 के स्कोर पर कुसैक के आउट होने से पहले दोनों ने छठे विकेट के लिए 162 रन जोड़ लिए थे. स्थिति ऐसी बन गई थी कि अब आयरलैंड की जीत असंभव नहीं दिख रही थी. ब्रायन इसे हाथ से जाने देने के मूड में नहीं थे.

आयरलैंड ने इंग्लैंड को दी मात 

दूसरे छोर पर मूनी के सहयोग से ब्रायन ने भी अपना शतक पूरा किया. उन्होंने आयरिश टीमों को ऐतिहासिक जीत की कगार पर पहुंचाया लेकिन इससे पहले कि टीम जीत हासिल कर पाती, 49वें ओवर में ब्रायन रन आउट हो गए. ब्रायन ने 6 छक्कों और 13 चौकों की मदद से मात्र 63 गेंदों में 113 रन बनाए. उनके आउट होने तक टीम का स्कोर 317 रन पर 7 विकेट था. हालांकि उनके आउट होने के बाद आयरलैंड की जीत का सपना टूटता नजर आया लेकिन मूनी अभी भी क्रीज पर थे. अंतिम ओवर की पहली गेंद पर उन्होंने बाउंड्री जड़ दी और इसी के साथ आयरलैंड ने विश्व कप इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर कर दिखाया. टीम ने इंग्लैंड द्वारा रखे गए 328 रनों के विशाल लक्ष्य को हासिल कर लिया. मूनी ने 30 गेंदों पर 33 रन बनाए और आयरलैंड को 3 विकेट से जीत दिलाई. 

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