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Saturday, July 6, 2024

कबाड़ के जुगाड़ से तैयार किया महात्मा गांधी का स्टैचू, लोगों ने लगा दी क्लास, बोले- इतना डरावना?

उत्तर प्रदेश के मेरठ में नगर निगम की ओर से “कबाड़ से जुगाड़” नामक एक अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत मेरठ नगर निगम कबाड़ से कलाकृतियां तैयार कर रही है और इन्हें शहर के चौराहों पर रखा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में मेरठ के नगर निगम के इस अभियान की प्रशंसा की थी. हालांकि अब इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. 

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कबाड़ के जुगाड़ से बनाया महात्मा गांधी का स्टैच्यू 

Statue of Mahatma Gandhi made from junk
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मेरठ नगर निगम ने कबाड़ का जुगाड़ लगा कर कई कलाकृतियां तैयार की हैं, जिनकी लोगों ने काफी सराहना भी की. लेकिन इसी बीच लोगों को शहर में कुछ ऐसा देखने को मिल गया जिसके बाद कुछ लोग इस अभियान की आलोचना भी कर रहे हैं. मेरठ में 2 अक्टूबर को कमिश्नरी चौराहे पर कमिश्नर ऑफिस के बाहर कबाड़ से तैयार किया गया महात्मा गांधी का स्टैच्यू लगाया गया. इस स्टैच्यू को देखते ही कुछ लोग भड़क गए. उनका कहना है कि कबाड़ से तैयार महात्मा गांधी का ये स्टैच्यू काफी डरावना लग रहा है.

लोगों को पसंद नहीं आया स्टैच्यू 

Statue of Mahatma Gandhi made from junk
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जब लोगों ने इस स्टैच्यू पर आपत्ति दर्ज कराई तो मेरठ नगर निगम ने इसे हटा लिया. नगर निगम के अनुसार ये स्टैच्यू लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए लगाया गया था. अब उन्हें इसको और बेहतर बनाने के सुझाव मिले हैं. इसलिए स्टैच्यू को हटा लिया गया है. इसको और बेहतर करके दोबारा वहां स्थापित किया जाएगा.

दरअसल मेरठ नगर निगम क्षेत्र में चौराहों का सौंदर्यीकरण किया गया था जिसमें नगर निगम के सभी पुराने स्क्रैप को सौंदर्यकरण करने के लिए प्रयोग किया गया है. नगर निगम पुराने टायर, पुराने प्लास्टिक स्क्रैप, लोहे के स्क्रैप और पुराने ड्रम जैसे कबाड़ से चौराहों के सौंदर्यीकरण कर रही है. 

अन्य कार्यों की लोगों ने की सराहना 

Statue of Mahatma Gandhi made from junk
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इस संबंध में मेरठ नगर निगम के अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने कहा कि उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि उनके पास जो भी स्क्रैप है उसको कैसे इस्तेमाल में लाया जाए. जिसके बाद उन्होंने कम पैसे में कबाड़ का बेहतर उपयोग करने की सोच के साथ कबाड़ से जुगाड़ नामक अभियान चलाया. जैसे मेरठ की रोड पर डिवाइडर में रेलिंग में साइकिल के पुराने पहिए लगाए गए हैं. मेरठ में कई फाउंटेन भी तैयार किए गए हैं.

उसी में गांधी जी का चरखा भी बनाया गया है और इसी के तहत जगह-जगह काम किया जा रहा है, जिसकी प्रशंसा भी हो रही है. लेकिन ये प्रशंसा आपत्ति में तब बदल गई जब महात्मा गांधी का स्टैच्यू सामने आया. अब इस स्टैच्यू को वहां से हटवा दिया गया है. लेकिन उसे ठीक करके दोबारा वहां लगाया जाएगा.

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