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Saturday, July 6, 2024

भगत सिंह के धमाके से अटल बिहारी के भाषण तक, वो ऐतिहासिक घटनाएं जिनका साक्षी बना पुराना संसद भवन

सोमवार को पुरानी संसद में संसद की कार्यवाही का आखिरी दिन रहा. अब मंगलवार यानी 19 सितंबर से संसद की कार्यवाही नई संसद भवन में होगी. 18 जनवरी, 1927 को तैयार हुई पुरानी संसद बिल्डिंग की 18 सितंबर, 2023 को विदाई हो गई. आजादी से पहले बम धमाके से सोई हुई अंग्रेजी हुकूमत को जगाने से लेकर आजादी के बाद आतंकी हमले समेत अन्य घटनाओं की साक्षी रहा है ये संसद भवन. 

The circular House of Parliament at New Delhi in 1926
The circular House of Parliament at New Delhi in 1926

इसी संसद में कभी बिल फाड़े गए तो कभी नोटों की गड्डियां उड़ाई गईं. कभी सभापति पर कागज के टुकड़े फेंके गए तो कभी मिर्ची का स्प्रे किया. इनमें से कई घटनाएं यादगार बन गईं तो कई घटनाएं शर्मनाक रहीं. 

तो चलिए जानते हैं पुरानी संसद में घटित उन घटनाओं के बारे में जिन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता. 

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शहीद भगत सिंह का धमाका  

Bhagat Singh and Batukeshwar Dutt threw bombs in the Assembly in 1929/ History TV
Bhagat Singh and Batukeshwar Dutt threw bombs in the Assembly in 1929/ History TV

जब भी 144 खंभों पर खड़ी पुराने संसद की बात चलेगी तब तब एक तेज धमाके की गूंज कानों में गूंजेगी. वही धमाका जो शहीद भगत सिंह और बटूकेश्वर दत्त ने अंग्रेजों को नींद से जगाने के लिए किया था. 8 अप्रैल 1929 को ये धमाका किया गया, जिसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि अंग्रेजों तक अपना संदेश पहुंचाने का था.    

महात्मा गांधी की हत्या के बाद संसद में मातम

Jawaharlal Nehru
Jawaharlal Nehru’s ‘Tryst with Destiny’ speech

14 अगस्त 1947 को इसी संसद भवन में संविधान सभा का विशेष सत्र बुलवाया गया था, जिसकी अगुआई देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी. इसी संसद में महात्मा गांधी की हत्या के बाद जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि, ‘एक गौरव चला गया. एक सूरज जिसने हमें रोशनी और गर्माहट दी अब डूब गया है और हम अंधकार और ठंड में कांप रहे हैं.’

साधुओं पर चलीं गोलियां 

Parliament
Twitter

यही वो संसद है जहां देश में गोहत्या पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की मांग लेकर हजारों साधु-संत अपनी गायों के साथ इकट्ठा हुए थे. इस घटना को संसद पर पहला हमला माना जाता है. प्रदर्शनकारियों को संसद में घुसने से रोकने के लिए सुरक्षाबलों को गोलीबारी करनी पड़ी. इस गोलीबारी में सात लोगों की मौत हो गई. आरएसएस और हिंदूवादी संगठनों ने इसे हिंदू हत्याकांड बताया था. बाद में इंदिरा गांधी ने साधु-संतों के नाम एक चिट्ठी लिखी. इसमें उन्होंने लिखा कि कानून बनाने के लिए शांति से भी बात की जा सकती है.

इसी संसद में 1975 में इमरजेंसी का ऐलान हुआ था. इसके लिए लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था. तब डिप्टी होम मिनिस्टर एफएम मोहसिन ने राष्ट्रपति की तरफ से लगाई इमरजेंसी का ऐलान किया था.

तेलंगाना को लेकर मचा बवाल 

Parliament
India Today

इसी संसद से देश को उत्तराखंड, सिक्किम, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बने. यही वो संसद है जहां तेलंगाना को अलग राज्य बनाने को लेकर ऐसा बवाल मचा जिसे विदेशी मीडिया ने ‘संसदीय इतिहास का काला दिन’ घोषित कर दिया. लोकसभा में तत्कालीन गृहमंत्री सुशील शिंदे द्वारा तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का बिल पेश करने के बाद जोरदार हंगामा शुरू हुआ. 

इस दौरान कांग्रेस सांसद एल राजगोपाल ने पहले तो गिलास तोड़ दिया और कार्यवाही बाधित करने के लिए काली मिर्च का स्प्रे छिड़क दिया. मिर्च का स्प्रे छिड़कने के बाद कई सांसदों की तबीयत बिगड़ गई. उस दिन संसद में चार एम्बुलेंस बुलाई गईं और कई सांसदों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया.

अटल बिहारी का भाषण 

Atal Bihari Vajpayee, the 1st Indian leader to address UNGA in Hindi
Atal Bihari Vajpayee, the 1st Indian leader to address UNGA in Hindi

इसी संसद में 31 मई 1996 को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐतिहासिक भाषण देने के बाद संख्याबल कम होने के कारण राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया था. बाद में जब दोबारा उनकी सरकार बनी तो उन्होंने देश को इसी संसद से परमाणु टेस्ट की जानकारी थी. इसी संसद से देश को उत्तराखंड, सिक्किम, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बने.

संसद में उड़े करोड़ों के नोट 

इसी संसद में तीन सांसदों अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगौरा ने एक करोड़ रुपये के नोटों की गड्डियां उछाली थीं. तीनों ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने उन्हें विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट देने के लिए रुपये की पेशकश की थी. हालांकि, दोनों ने इन आरोपों को नकार दिया था.

संसद पर आतंकी हमला 

Parliament Attack
NY Times

13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकी हमला हुआ था. उस दिन सफेद एम्बेसडर कार में सवार पांच आतंकी गेट नंबर-12 से अंदर घुस आए थे. आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. उनके पास AK-47 और हैंड ग्रेनेड थे. सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे थे. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने इसकी जिम्मेदारी ली थी. आतंकियों ने संसद भवन के अंदर घुसने की कोशिश की, लेकिन सभी पांचों को बाहर ही मार दिया गया. सुबह साढ़े 11 बजे से शुरू हुई ये मुठभेड़ शाम 4 बजे खत्म हुई.

इस हमले का मास्टरमाइंड अफजल गुरु था. संसद हमले के दो दिन बाद ही 15 दिसंबर को अफजल गुरु को गिरफ्तार कर लिया गया. उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी पर लटका दिया गया.

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